ग्रह शांति के अकाट्य उपाय
शंकर स्वयं केसरी नंदन
ग्रह शांति के अचुक 50 सूत्र
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ॐ नमः जय स्वाहा – दिन में कम से कम एक बार बोलने से सभी कार्य बनते हैं।
प्रत्येक को अपने घर में कल्पवृक्ष, कामधेनु व चिंतामणि रत्ना का चित्र रखना चाहिए।
व्रतियों, महाव्रतियों को आहार करना चाहिए।
साकार परमात्मा की आराधना करनी चाहिए।
प्रतिदिन दान करना चाहिए।
अतिथि सेवा।
दिन में ब्रह्मचर्य का पालन।
अवस्त्र स्नान नहीं करना।
माता – पिता का आदर करना।
कुटुम्बी जॉन्स से बैर न करना।
दिल्ली से बड़ों का आशीर्वाद लेना।
व्यसनों का त्याग करना।
पसंदीदा भोजन करना।
सूर्य की ओर मल का त्याग न करना।
कर्ज चुकाया जाना चाहिए।
क्वेश्चन पाइथॉन नाइट में नहीं रखा जाना चाहिए।
टोकरे, दर्पण दर्पण घर में नहीं रखना चाहिए।
पिता को दुःख हुआ, धन नहीं लिया।
सभी के सुखी जीवन की कामना।
कत्रघ्नी व्यक्ति की कभी दोस्ती न करना।
नाश्ते को खाना देना।
होटल की सेवा।
विकलांगों पर मरहम लगाना।
अपने मकान में जगह जगह छोड़ देना चाहिए।
नैऋत्य कोण में घर के दरवाजे वाले को घर का त्याग कर देना चाहिए।
घर में कोई खास न हो।
लोभ में ग्यान चोरी का पात्र न धारण करें।
बट, बहन, बेटी आदि के लिए उपहार देना चाहिए।
अबला, कन्या, विधवा पर हाथ न नारा।
मित्रता से मित्रता का व्यवहार रखें, मित्रता न करें
जहाँ भी उस परिवेश में रहते हैं प्रेम से मित्रता का व्यवहार रखें, मित्रता न करें।
वैयक्तिक जागरूकता से रह रहे हैं।
फनी को नाक व कान छिदवाना चाहिए।
कपडे सुन्दर कपड़े।
शाकाहारी सामान का उपयोग करें।
अपशब्दों का प्रयोग न करें।
सुबह-सुबह सबसे पहले अपने हाथों की हथेली देखें।
प्लास्टिक और टैलवे सोने से पहले साफ करके सोना चाहिएलेटा
हुआ पानी न पियें।
खाना पकाना खाना ना बनाना।
जिस मकान में दरवाजे बजते हैं उस घर में ना रहे,उसमें तेल लगा रहे।
क्लासिट व पलंग हिलाते न हो।
बीम के नीचे शयन व आसन न हो।
भगवान और गुरु को जन्म देने वाले व्यक्ति के गृह दोष, सुरक्षा का उपाय नहीं होता है।
धर्मग्रंथ को अपने से नीचा आसन न दें।
साइज पर पैर नहीं रखना चाहिए।
बंदा घडी, रिचमंड केसेट, सी डी, आदि को घर में नहीं रखना चाहिए।
ईशान दिशा में शौचालय नहीं होना चाहिए।
नैऋत्य कोण में यदि कर्मचारी या तीर्थयात्रियों का निवास है और अग्नि कोण में जल का भ्रमण हो तो द्वंद ही होगा।
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