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इस बार कुंभ नहीं महाकुंभ है ,जीवन में फिर नहीं आने वाला

योगी सरकार की व्यवस्था का अवलोकन करें

 

कुम्भ स्नान से मिलती है जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति…!!

आप सभी इस बात से परिचित हैं कि कुंभ मेला आस्था का पर्व है और पवित्र गंगा, जमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम में शामिल होकर अपने पापों और जन्म मरण के चक्र से मुक्ति पाते हैं। अगर बात करें हिंदू पौराणिक कथाओं की तो उनका पृथ्वी पर एकमात्र कुंभ मेला एक ऐसा स्थान है, जहां आप अपने पापों से मुक्त हो सकते हैं और सभी पापों को धो सकते हैं। कहते हैं कुंभ के मेले में नहाकर आप जन्म और मृत्यु के चक्र से भी मुक्ति पा सकते हैं। जी हाँ ..! ऐसी मान्यता है कि कुंभ के दिनों में पवित्र गंगा के जल में मनुष्य का प्रवेश और उसका पूर्वज दोषमुक्त हो जाते हैं।

स्नान के बाद हर कोई नया वस्त्र धारण करता है और साधुओं के उपदेश सुनता है। आप सभी को बता दें कि दो बड़े कुंभ मेलों के बीच एक अर्धकुंभ मेला भी लगता है और इस बार कुंभ मेले में एक अर्धकुंभ मेला भी लगता है। जी हां, संगम तट पर ही ऋषि भारद्वाज का आश्रम है, जहां भगवान श्री राम, लक्ष्मण और सीता माता के साथ वनवास के समय रुके थे, इसी के साथ पुराने समय में ब्रह्मा और चैतन्य महाप्रभु भी कुंभ दर्शन को गए थे। इसी के साथ हम सभी यह बात जानते हैं कि कुंभ मेले में आने वाले नागा साधुओं के सार्वभौम आकर्षण का केंद्र होते हैं।

इसी के साथ महाकुंभ, (महाकुंभ 144 वर्ष के अंतराल में आता है) अर्धकुंभ या फिर सिंहस्थ कुंभ के बाद नागा साधुओं को देखना बहुत कठिन होता है। कहते हैं नागा साधु बनने के लिए 10 से 15 साल तक कठिन तप और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और अपने गुरु पर विश्वास करना चाहिए कि साधु बनना उचित है, उस काल में किसी का भी मोह नहीं रखना चाहिए।
[ कुम्भ के कोतवाल

सृष्टि का प्रथम ‘यज्ञ’ प्रयाग में प्रारंभ हुआ जो कल्पवास का मूल आधार है।

जब देवता, दानव, यक्ष, मानव यहां आते हैं, तो इस क्षेत्र की रक्षा के लिए ब्रह्मा जी ने सृष्टि के पालनकर्ता विष्णु जी से कहा था कि यहां इस क्षेत्र की रक्षा करें। विष्णु प्रत्येक दिशा में द्वादश माधव स्वरूप में स्थित हैं, जहाँ पर देवता स्थित हैं जिनके नाम त्रिवेणी माधव, शंख माधव, संकष्टहर माधव, वेणी माधव, असि माधव, मनोहर माधव, अनंत माधव, बिन्दु माधव, पद्म माधव, गदा माधव, आदि माधव, चक्र माधव हैं। ।।

द्वादश माधव का नेतृत्व करने की ज़िम्मेदारी वेणी माधव को दी गई जिसमें कुम्भ के रक्षक कहे गए हैं।

 

ईसाई धर्म की शुरुआत के कल्पवास के बाद एक महीने का कल्पवास प्रत्येक मनुष्य, यति, देव, किन्नर, अन्यान्य प्राणि का धर्म बन गया, आज भी उनकी रक्षा का दायित्व द्वादश माधव पर ही है।

साल में एक बार द्वादश माधवी यात्रा भी निकलती है। परंपरा है कि माघ मेले की शुरुआत में वेणी माधव के स्वरूप की यात्रा होती है। उनके बाद यह माना जाता है कि पौष पूर्णिमा से उत्थान वाले माघ मेले के दौरान वेणी माधव माघ मेले में ही विचरण करते हुए माघ मेले की रक्षा करेंगे। कल्पवासियों की पूजा में संपूर्ण मणी तब बनती है जब वे कल्पवास के अनुष्ठान वेणी माधव मंदिर पर होते हैं और उनके दर्शन करते हैं।

मंदिर में शालिग्राम शिला से बनी वेणी माधव की प्रतिमा के साथ त्रिवेणी जी की प्रतिमा भी है। त्रिवेणी जी की प्रतिमा भी माधव की तरह ही शंख चक्र धारण किए हुए हैं, त्रिवेणी जी कमल के मंदिर में माधव विष्णु के रूप में विराजमान हैं। कहा जाता है कि विष्णु जी के रूप में ये अनोखी प्रतिमा कहीं और नहीं है।

 

 

पूरे माघ मेले के दौरान वेणी माधव मंदिर में भक्तों के आने का क्रम जारी है। वेणी माधव जी को रिझाने के लिए उनकी प्रार्थना माघ मेला पर बनी रही इसके लिए पूजा पाठ के अलावा कई कलाकार भी मंदिरों में बताए गए हैं।

इस बार जब महाकुंभ में जाएगा तो कुंभ के कुलदेवता के दर्शन जरूर करेंगे। दाराजगंज तट पर स्थित उनके दरबार में हाजिरी के बाद नि:शंक मेला यात्रा करेगा।

जय श्री काल भैरव….🙏🙏🙏🙏

 

आना-जाना दोनों फ्री, महाकुंभ में मुख्य स्नान पर्व के लिए चलेंगी शटल बस, यूपी परिवहन निगम ने किया एलान
महाकुंभ 2025 के मुख्य स्नान पर्वों के एक दिन से लेकर एक दिन बाद तक श्रद्धालु प्रयागराज क्षेत्र में मुफ्त आवागमन कर सकेंगे। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने बताया कि परिवहन निगम की ओर से संचालित शटल बसों में महाकुंभ 2025 में पड़ने वाले मुख्य स्नान पर्वों के आसपास मुफ्त यात्रा कराई जाएगी
मेला क्षेत्र में परिवहन निगम 350 शटल बसों का संचालन करा रहा है।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। महाकुंभ 2025 के मुख्य स्नान पर्वों के एक दिन से लेकर एक दिन बाद तक श्रद्धालु प्रयागराज क्षेत्र में मुफ्त आवागमन कर सकेंगे।

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने बताया, परिवहन निगम की ओर से संचालित शटल बसों में महाकुंभ 2025 में पड़ने वाले मुख्य स्नान पर्वों के आसपास मुफ्त यात्रा कराएगा।

13 जनवरी से 26 फरवरी तक कुल छह मुख्य स्नान

 

परिवहन मंत्री ने बताया कि महाकुंभ में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक कुल छह मुख्य स्नान क्रमशः 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा, 14 जनवरी को मकर संक्रांति, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या, तीन फरवरी को वसंत पंचमी, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा व 26 फरवरी को महाशिवरात्रि है।

उन्होंने बताया कि उक्त तिथियों को पड़ने वाले मुख्य स्नान के दिन व मुख्य स्नान के एक दिन पूर्व व एक दिन बाद तक मुफ्त यात्रा का लाभ दिया जाएगा। इस प्रकार कुल 18 दिन तक मुफ्त यात्रा का लाभ श्रद्धालुओं को मिलेगा। शटल बसें विभिन्न पार्किंग स्थलों से श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र तक निश्शुल्क यात्रा कराएंगी।
जीरो मूल्य वाला टिकट होगा जारी
परिवहन मंत्री के निर्देश पर निगम के अपर प्रबंध निदेशक राम सिंह वर्मा ने पत्र जारी कर सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देशित किया है कि उक्त निर्देशों का शत-प्रतिशत अनुपालन कराया जाए।
उन्होंने बताया कि शटल बसों में मुख्य स्नान आसपास श्रद्धालुओं को जीरो मूल्य वाला टिकट जारी किया जाएगा, ठीक वैसे ही जिस तरह पिछले वर्षों में रक्षाबंधन पर महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा कराई जाती रही है। इसका लाभ सिर्फ मेला क्षेत्र की शटल बसों में ही मिलेगा।

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